Friday, May 18, 2012

Anmol Kathan

वायु से भी शीघ्रगामी क्या है? -मन। तिनको से भी अधिक असंख्य कौन है?-चिंता। प्रवासी का मित्र कौन है?-साथी। गृहवासी का मित्र कौन है?-भार्या। बीमार का मित्र कौन है?-वैध्य। मरे आदमी का मित्र कौन है?-दान। सभी प्राणियों का अतिथि कौन है?-अग्नि। धर्म का स्वरुप कौन है?-सबके अनुकूल रहना। यश की चरम सीमा क्या है?-किसी की बुराई  न करना। उत्तम धन क्या है?-शास्त्र का ज्ञान।                      

Thursday, May 17, 2012

Anmol kathan

संसाररूपी इस जीवन-समर में, जों स्वयं को आनंदमय बनाय रखता है, दुसरों   को भी हँसाते रहता है, वह इश्वर का प्रकाश ही फैलता है। यहाँ जो कुछ भी है, आनंदित होने तथा दूसरों  को प्रसन्नता देने के लिए ही उपजाया गया  है। जो कुछ भी बुरा व् अशुभ है, वह मनुष्य को प्रखर बनाने के लिए मौजूद है।  जो प्रतिकूलताओं से डरकर रो परता है, कदम पीछे हटाने लगता है, उसकी आध्यामिकता पर कौन विश्वास करेगा।